Literature & Fiction Books
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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 264 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642743
- ISBN-13: 9789350642740
DESCRIPTION:
1931 में लिख, ग़बन, मुंशी प्रेमचंद का सबसे अधिक लोकप्रिय उपन्यास है जो आज़ादी से पहले उत्तर भारत के समाज का एक बहुत ही जीवंत चित्र खींचता है। रमानाथ की पत्नी जालपा को गहनों से इतना लगाव है कि उसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है। और अपनी पत्नी की गहनों की ख़्वाहिश को पूरा करने के लिए रमानाथ इतनी बड़ी उलझन में फँस जाता है, जिस में वह अपने परिवार की इज़्ज़त तक को दाव पर लगा देता है। कैसे जालपा सुलझाती है इस उलझन को-इसी उधेड़-बुन की पठनीय कहानी है ग़बन।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Jaishankar Prasad (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643030
- ISBN-13: 9789350643037
DESCRIPTION:
जयशंकर प्रसाद बहुआयामी रचनाकार थे। कवि, नाटककार, कहानीकार होने के साथ-साथ वह उच्चकोटि के उपन्यासकार भी थे। जयशंकर प्रसाद और मुंशी प्रेमचंद समकालीन लेखक थे लेकिन दोनों के लेखन की अलग-अलग धाराएँ थीं। जहाँ प्रेमचंद की अधिकांश रचनाएँ उस समय के यथार्थवाद को उजागर करती हैं वहीं जयशंकर प्रसाद का लेखन आदर्शवादी है जिसमें भारतीय संस्कृति, इतिहास और प्राचीन गौरव-गाथाओं की झलक मिलती है। जयशंकर प्रसाद ने मात्र दो उपन्यास लिखे-कंकाल और तितली। तीसरा उपन्यास इरावती उनके निधन के कारण अधूरा रह गया। थ्ततली कृषि और ग्रामीण जीवन को केन्द्र में रखकर एक नारी की कहानी है। जो भारतीय दृष्टि और कृषि सभ्यता की पहचान करवाती है। इसमें वर्णित नारी की छवि है एक आदर्श प्रेमिका और आदर्श पत्नी की। वह कैसे अपने दांपत्य जीवन और प्रेम की पुकार के बीच अपना रास्ता चुनती है, इस द्वंद्व का दिल छू लेने वाला चित्रण इस उपन्यास में है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Jaishankar Prasad (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643022
- ISBN-13: 9789350643020
DESCRIPTION:
जयशंकर प्रसाद बहुआयामी रचनाकार थे। जिनकी लेखन और रंगमंच दोनों पर अच्छी पकड़ थी। कवि, नाटककार, कहानीकार होने के साथ-साथ वह उच्चकोटि के उपन्यासकार भी थे। जयशंकर प्रसाद ने तीन उपन्यास लिखे, तितली, कंकाल और इरावती। अंतिम उपन्यास इरावती उनके निधन के कारण अधूरा रह गया। कंकाल में लेखक ने हिन्दू धर्म के ठेकेदारों की सच्चाई को उद्घाटित किया है। सत्य और मोक्ष की खोज में लगे धर्म के अनुयायी कैसे अपनी वासना में खुद फँस जाते हैं और औरों को इसका शिकार बनाते हैं। धार्मिक स्थानों के बंद दरवाज़ों के पीछे काम और वासना का यह खेल कैसे लोगों को, विशेषकर मासूम और निर्दोष लड़कियों की जि़ंदगी को तबाह कर देता है, इन सबका बहुत ही मार्मिक ताना-बाना बुना गया है इस उपन्यास में।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Jaishankar Prasad (Author)
- Binding :Hardcover
- Edition :2015
- Pages: 184 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643278
- ISBN-13: 9789350643273
DESCRIPTION:
जयशंकर प्रसाद जहाँ उच्चकोटि के कवि थे, वहीं अच्छे कहानीकार भी थे। उनके पाँच कहानी-संग्रह प्रकाशित हुए जिन्होंने न सिर्फ हिन्दी कथा-साहित्य को समृद्ध किया बल्कि विशिष्ट विधा के प्रवर्तक कथाकार के रूप में उनकी पहचान बनाई। जयशंकर प्रसाद के लेखन में आदर्शवाद और प्राचीन गौरव गाथाओं की झलक मिलती है। उनकी कहानियों में भावना और आदर्श के बीच द्वंद्व का बहुत ही सशक्त चित्रण होता है जो उनकी कहानियों के पात्रों को यादगार बनाता है। ‘मदन मृणालिनी’ का मदन, ‘जहाँआरा’ का औरंगजेब, ‘पाप की पराजय’ का धनश्याम और ‘गुंडा’ का ननकूसिंह अविस्मरणीय पात्र बन गए हैं। इन कहानियों के अतिरिक्त उनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी ‘छोटा जादूगर’ सहित बाईस कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Om Prakash (Author)
- Binding :Hardcover
- Edition :2011
- Pages: 140 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640317
- ISBN-13: 9789350640319
DESCRIPTION:
यह शब्दकोश विशेष रूप से पब्लिक स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया गया है। इसमें हाई स्कूल तक की पाठ्य-पुस्तकों में आने वाले प्रायः सभी शब्दों के सरल अर्थ दिये गये हैं। जहां केवल शब्द का अर्थ देने से आशय स्पष्ट नहीं होता, वहां चित्र भी दिये हैं। इस कोश की विशेषता यह भी है कि इसमें यथास्थान शब्दों के व्याकरणों का संकेत भी दिया है कि शब्द पुल्लिंग है अथवा स्त्रीलिंग। यदि शब्द क्रिया है तो क्रिया सकर्मक है अथवा अकर्मक। इसी प्रकार विशेषण, अव्यय, सर्वनाम आदि को भी शब्द के साथ ही लिखा है। वर्षों के अध्यापन के आधार पर इस 'विद्यार्थी हिंदी शब्दकोश' को विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बनाने का पूरा प्रयत्न किया गया है। आशा है अघ्यापकगण और विद्यार्थी इसे उपयोगी पाएंगे। - संपादक


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Vishnu Prabhakar (Author)
- Binding :Paperback
- Edition :2017
- Pages: 64 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:8170283507
- ISBN-13: 9788170283508
DESCRIPTION:
विष्णु प्रभाकर जी की लिखी हुई ११ कहनायों का संग्रह।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Vishnu Prabhakar (Author)
- Binding :Hardcover
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:8170289998
- ISBN-13: 9788170289999
DESCRIPTION:
‘पद्यमभूषण’ से सम्मानित लेखक विष्णु प्रभाकर का यह कहानी-संकलन हिन्दी साहित्य में मील का पत्थर साबित हुआ है। इसमें लेखक ने जिन चुनिंदा सोलह कहानियों को लिया है उन की दिलचस्प बात यह है कि अपनी हर कहानी से पहले उन्होंने उस घटना का भी उल्लेख किया है जिसने उन्हें कहानी लिखने की प्रेरणा दी।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Archana Painuly (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350643936
- ISBN-13: 9789350643938
DESCRIPTION:
ऐसी क्या खासियत है पति पत्नी के रिश्ते में जो दोनों के जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की बहार तो बिखेरती है , लेकिन भारतीय मूल की नीना और उसके डेनिस पति , पॉल ,डेनमार्क में अपना सुखी जीवन व्यतीत कर रहे होते है . जब अचानक ......ऐसी ही परतो , यादो और साथ सहे सुख दुःख के ताने बाने को बुनता यह दिल को छु लेने वाला उपन्यास बहुत लम्बे समय तक पाठको के मन में मीठी टीस छोड़ता है .


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Dasharath Oza (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 420 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:8170284023
- ISBN-13: 9788170284024
DESCRIPTION:
"इतना कहने में कोई संकोच नहीं कि प्रथम बार इतनी विशाल पृष्ठ भूमि पर रखकर हिंदी के नाटक देखे और जाँचे गए हैं।मेरा विश्वास है कि इस पुस्तक से हिन्दी नाटकों के अध्ययन को बहुत बल मिलेगा और यह हिंदी-संसार के विद्यार्थियों के द्वारा आदर-सम्मान प्राप्त करेंगी। हिंदी में लोक-नाट्य की परम्परा बहुत पुरानी है। ओझा जी ने परिश्रम के साथ प्राकृत, अपभ्रंश आदि पूर्ववर्ती और बंगला, गुजराती आदि पार्श्ववर्ती साहित्य में पाए जाने वाले संकेतों के आधार पर प्राचीन नाटकीय परम्परा के छिन्न सूत्रों को खोज निकालने का प्रयास किया है। - हजारीप्रसाद द्विवेदी"


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sudeep Nagarkar (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534096
- ISBN-13: 9789386534095
DESCRIPTION:
चार दोस्त.... चार ज़िन्दगियाँ.... एक फ़ैसला कॉलेज में पढ़ रहे चार दोस्त मुम्बई के एक फ्लैट में इकट्ठे रहते हैं। वरुण लापरवाह और कुछ सुस्त स्वभाव का है, लेकिन है बहुत ही प्यारा, अहाना साहसी है और कई बार बिना सोचे-समझे काम करती है, मालविका ‘सेल्फी-क्वीन’ है और गरिमा इन सबमें चुपचाप रहने वाली सबसे गम्भीर और संयमी स्वभाव वाली है। चारों की आपस में खूब बनती है और समय के साथ उनकी दोस्ती और गहरी होती है। लेकिन जब उनमें से एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस जाता है तो सभी की ज़िन्दगी में बवाल मच जाता है। क्या ये चारों दोस्त एक-दूसरे का साथ निभा पायेंगे या फिर अपना अलग-अलग रास्ता पकड़ लेंगे... पुस्तक मेरे सपनों में ट्रैन्ड करने वाली एक सच्ची कहानी है जो दोस्ती और प्यार की भावनाओं से आपको मुग्ध कर लेगी।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2014
- Pages: 230 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283159
- ISBN-13: 9788170283157
DESCRIPTION:
ज़िन्दगी के ऐतिहासिक दस्तावेज़ की तरह लिखी जाने वाली सामान्य आत्मकथाओं से भिन्न परंतु उनसे अधिक पठनीय और सार्थक-प्रख्यात लेखक अमृतलाल नागर की विशिष्ट आत्मकथा।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 112 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285569
- ISBN-13: 9788170285564
DESCRIPTION:
यह उपन्यास अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में उत्तर भारत की राजनीति में जबरदस्त हलचल मचा देने वाली बेगम समरू के रहस्य और रोमांच से भरे जीवन पर आधारित है। जब औरतें पर्दे से बाहर नहीं निकलती थीं, कोठे पर मुजरा करने वाली समरू ने एक यूरोपीय सेनानी को अपना दीवाना बनाकर शादी कर ली। समरू ने पति के साथ अपनी एक छोटी सी सेना खड़ी कर ली और बड़े-बड़े सूरमाओं को अपनी बहादुरी और रणकौशल से धूल चटा कर मेरठ के समीप सरदाना की गद्दी पर जा बैठी। सिर पर पगड़ी बांधे, घोड़े पर सवार होकर सेना का नेतृत्व करती वीरांगना...कल्पना कीजिए उस आश्चर्यचकित कर देने वाले दृश्य की!


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 104 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288215
- ISBN-13: 9788170288213
DESCRIPTION:
यह उपन्यास अठारहवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में उत्तर भारत की राजनीति में जबरदस्त हलचल मचा देने वाली बेगम समरू के रहस्य और रोमांच से भरे जीवन पर आधारित है। जब औरतें पर्दे से बाहर नहीं निकलती थीं, कोठे पर मुजरा करने वाली समरू ने एक यूरोपीय सेनानी को अपना दीवाना बनाकर शादी कर ली। समरू ने पति के साथ अपनी एक छोटी सी सेना खड़ी कर ली और बड़े-बड़े सूरमाओं को अपनी बहादुरी और रणकौशल से धूल चटा कर मेरठ के समीप सरदाना की गद्दी पर जा बैठी। सिर पर पगड़ी बांधे, घोड़े पर सवार होकर सेना का नेतृत्व करती वीरांगना...कल्पना कीजिए उस आश्चर्यचकित कर देने वाले दृश्य की!

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2013
- Pages: 96 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170280931
- ISBN-13: 9788170280934
DESCRIPTION:
आधी सदी पहले सन 1937 में 'चकल्लस' चबूतरे पर यह 'नवाबी मसनद' आबाद हुई थी। गुलजार सड़के जिस मकान में मेरे 'चकल्लस' अख़बार का दफ्तर था, उसके नीचे ही खुदाबख्श तंबाकूवाले, मौला पहलवान और उनके साझेदार प्यारे साहब ड्राइवर की बर्फ की दुकान थी और कुछ सब्जी फरोश कुनबों की दुकानें भी थीं। खुदाबख्श के बेटे कादिर बक्श बड़ी रंगीन तबीयत के आदमी थे, कबाडिनो के कन्हैया। 'चकल्लस' दफ्तर के नीचे इन दुकानों और फुटपाथ की दुनिया। कादिर मियां की मस्ती से खुशरंग रहती थी। मौला पहलवान और प्यारे साहब भी मुजस्सिम याजूज़-माज़ूज़ की जोड़ी ही थे। एक कुश्तिया पहलवान तो दूसरे अक्ल के अखाड़े के खलीफा। 'अवध अखबार' की खबरों के परखचे उड़ाये जाते, आसपास की बातों पर होने वाली बहसों में लालबुझक्कडी लाजिक के ऐसे-ऐसे कमाल नजर आते कि दिल बाग-बाग हो हो जाता था। 'नवाबी मसनद' अपने समय में लोकप्रिय हुई। निराला जी इसके नियमित पाठक और प्रशंसक थे। आशा करता हूं कि पचास वर्षों के बाद आज भी पाठक इसे पसंद करेंगे। (भूमिका से)

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 40 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170285496
- ISBN-13: 9788170285496
DESCRIPTION:


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 328 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170280052
- ISBN-13: 9788170280057
DESCRIPTION:
अमृतलाल नागर हिन्दी साहित्य के एक दिग्गज माने जाते हैं जिन्होंने उपन्यास, व्यंग्य, संस्मरण और बाल-साहित्य जैसी अलग-अलग विधाओं में लिखा। ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ में अपनी विशिष्ट शैली में सर्वथा नवीनतम धरातल पर मानवीय संवेदना के जीते-जागते पात्र उपस्थित किए हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640651
- ISBN-13: 9789350640654
DESCRIPTION:
प्रेमचंद के बाद के कथाकारों में अमृतलाल नागर का स्थान बहुत ऊँचा है, और उन्हें हिन्दी साहित्य को विश्व स्तर पर ले जाने का गौरव प्राप्त है। उपन्यासों की भांति उनकी कहानियाँ भी सभी रंगों में लिखी गई हैं और बहुत पसंद की जाती रही हैं। इस संकलन के लिए उन्होंने स्वयं कहानियाँ चुनी हैं जो उनकी समग्र कथायात्रा का प्रतिनिधित्व करती हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 380 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282497
- ISBN-13: 9788170282495
DESCRIPTION:
"मानस का हंस" लेखक अमृतलाल नागर का प्रतिष्ठित बृहद उपन्यास है। इसमें पहली बार व्यापक कैनवास पर "रामचरितमानस" के लोकप्रिय लेखक गोस्वामी तुलसीदास के जीवन को आधार बनाकर कथा रची गई है, जो विलक्षण के रूप से प्रेरक, ज्ञानवर्धक और पठनीय है। इस उपन्यास में तुलसीदास का जो स्वरूप चित्रित किया गया है, वह एक सहज मानव का रूप है। यही कारण है कि "मानस का हंस" हिन्दी उपन्यासों में 'क्लासिक' का सम्मान पा चुका है और हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि माना जाता है। नागर जी ने इसे गहरे अध्ययन और मंथन के पश्चात अपने विशिष्ट लखनवी अन्दाज़ में लिखा है। बृहद होने पर भी यह उपन्यास अपनी रोचकता में अप्रतिम है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 232 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642417
- ISBN-13: 9789350642412
DESCRIPTION:
भारतीय संस्कृति में 'महाभारत' को एक विशेष स्थान प्राप्त है। 'रामायण' की भांति इसे घर-घर में पढ़ा जाता है। हमारे धर्म-चिंतन का सर्वोपरि ग्रंथ ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ इसी का अंग है। प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृतलाल नागर ने महाभारत की सम्पूर्ण कथा बड़े सरल शब्दों तथा प्रवाहपूर्ण भाषा में प्रस्तुत की है। 'महाभारत' की संपूर्ण संक्षिप्त कथा सरल भाषा-शैली में-उपन्यासकार अमृतलाल नागर की कलम से।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 104 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170288320
- ISBN-13: 9788170288329
DESCRIPTION:
लखनऊ और अवध सदा से अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए विख्यात रहा है। नज़ाकत और नफासत के लिए विशेष रूप से जानी जाने वाली लखनवी संस्कृति आज भी वहां के जन मानस में ज़िन्दा है। वहां के निवासियों का यह कहना सच ही है कि ‘हम फिदा-ए-लखनऊ’, लखनऊ हम पे फिदा’। जीवन भर लखनऊ में रहने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर की ये कहानियां मनोरंजन के साथ लखनऊ के जनजीवन के हर पहलू को उजागर करती हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 248 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170280060
- ISBN-13: 9788170280064
DESCRIPTION:
प्रेमचन्द के बाद विश्व प्रसिद्ध श्रेष्ठ उपन्यासकारों में श्री अमृतलाल नागर का एक विशिष्ट स्थान है। उनके अन्य उपन्यास ‘मानस का हंस’, ‘खंजन नयन’, ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’, ‘बूंद और समुद्र’, ‘बिखरे तिनके’, ‘सेठ बांकेमल’, ‘भूख’, ‘सात घूंघट वाला मुखड़ा’ तथा ‘अमृत और विष’ हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि हैं, जिनमें मानव-जीवन की सजीव अभिव्यक्ति अत्यन्त रोचक शैली में हुई है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 360 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170281369
- ISBN-13: 9788170281368
DESCRIPTION:
प्रेमचन्द के बाद विश्व प्रसिद्ध श्रेष्ठ उपन्यासकारों में श्री अमृतलाल नागर का एक विशिष्ट स्थान है। उनके अन्य उपन्यास ‘मानस का हंस’, ‘खंजन नयन’, ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’, ‘बूंद और समुद्र’, ‘बिखरे तिनके’, ‘सेठ बांकेमल’, ‘भूख’, ‘सात घूंघट वाला मुखड़ा’ तथा ‘अमृत और विष’ हिन्दी-साहित्य की अमूल्य निधि हैं, जिनमें मानव-जीवन की सजीव अभिव्यक्ति अत्यन्त रोचक शैली में हुई है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 548 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170286271
- ISBN-13: 9788170286271
DESCRIPTION:
पद्मभूषण से सम्मानित अमृतलाल नागर की गिनती बीसवीं सदी के हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखकों में होती है। उनके लेखन की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वे अपनी कहानियों और उपन्यासों में पात्रों का ऐसा चित्रण करते थे जो कि कहानी खत्म होने के बाद भी लम्बे समय तक पाठक के दिलोदिमाग पर छाये रहते थे। इसी खूबी के कारण कई बार उनकी तुलना प्रेमचन्द से की जाती है। 17 अगस्त, 1916 में आगरा, उत्तर प्रदेश में जन्मे अमृतलाल नागर को उनके 74 वर्ष के जीवनकाल में अनेक सम्मानों से नवाज़ा गया। उन्होंने उपन्यास, कहानी, यात्रा-वृत्तान्त, संस्मरण, जीवनी, निबन्ध, रिपोर्ताज, व्यंग्य, नाटक और बच्चों के लिए पुस्तकें-सभी विधाओं में काम किया। इसके अतिरिक्त अन्य भाषाओं से कई महत्त्वपूर्ण कृतियों को हिन्दी में अनुदित किया। साहित्य के अतिरिक्त उन्होंने रेडियो, रंगमंच और फिल्मों में भी सक्रिय योगदान दिया। प्रस्तुत ग्रन्थ में उनकी सभी कहानियों को एक साथ सम्मिलित किया गया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Amritlal Nagar(Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643979
- ISBN-13: 9789350643976
DESCRIPTION:
अमृतलाल नागर की लेखनी से हास्य-व्यंग्य मिश्रित जिन विभिन्न रचनाओं का सृजन हुआ वे अपने आप में विलक्षण हैं। ये समय-समय पर विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं। उनके कई संग्रह निकले जिन्हें बेहद पसन्द किया गया। ‘चकल्लस’ के नाम से उन्होंने एक पत्र भी निकाला जिसका साहित्य जगत में अपना एक विशेष स्थान बन गया। ‘चकल्लस’ में नागर जी की सभी श्रेष्ठ हास्य-व्यंग्य रचनाएँ एक साथ प्रकाशित हैं। इससे इनकी विविधता तथा लेखक के सहज विनोदी स्वभाव का ज्ञान होता है। अमृतलाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 में आगरा में हुआ था। वे उन्नीसवीं सदी के हिन्दी साहित्य के महत्त्वपूर्ण लेखक थे जिन्हें अक्सर प्रेमचंद का साहित्यिक वारिस माना जाता है। उनके लेखन की विशेषता थी यादगार चरित्रों का सृजन, जो पुस्तक पढ़ने के बाद भी देर तक पाठक के दिलो-दिमाग पर अपना प्रभाव छोड़ते थे। बहुआयामी प्रतिभा वाले नागर जी ने 74 वर्ष के जीवन काल में सभी विधाओं पर लिखा जिसमें कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, संस्मरण और बच्चों के लिए कई रोचक पुस्तकें हैं। 1967 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1981 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। उनके उपन्यास मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल और खंजन नयन हिन्दी साहित्य में मील के पत्थर साबित हुए।
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