Literature & Fiction Books
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SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801767
- ISBN-13: 9788190801768
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2016
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801775
- ISBN-13: 9788190801775
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।

SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 204 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831746
- ISBN-13: 9788174831743
DESCRIPTION:
प्रेमचंद निस्संदेह हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानीकार थे जिनकी गणना विश्वस्तरीय साहित्यकारों में होती है। अपने जीवनकाल में उन्होंने 250 से अधिक कहानियाँ लिखीं जो मुख्यतः उस समय के समाज के यथार्थ को दर्शाती हैं। इनमें बालविवाह, गरीबी, भुखमरी, ज़मींदारों के अत्याचार के खिलाफ एक जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास है। यथार्थ की इन सच्चाईयों से रू-ब-रू कराती कहानियों को पढ़ते हुए पाठक पूरी तरह से खो जाता है। ये कहानियाँ आज भी उतनी ही सामयिक हैं जितनी सौ साल पहले थीं। कहानियों के अतिरिक्त प्रेमचंद ने चैदह उपन्यास और अनगिनत निबंध लिखे। उन्होंने अन्य भाषाओं की कुछ पुस्तकों को भी हिन्दी में अनुदित किया।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 204 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831606
- ISBN-13: 9788174831606
DESCRIPTION:
प्रेमचंद निस्संदेह हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानीकार थे जिनकी गणना विश्वस्तरीय साहित्यकारों में होती है। अपने जीवनकाल में उन्होंने 250 से अधिक कहानियाँ लिखीं जो मुख्यतः उस समय के समाज के यथार्थ को दर्शाती हैं। इनमें बालविवाह, गरीबी, भुखमरी, ज़मींदारों के अत्याचार के खिलाफ एक जागरूकता बढ़ाने का भी प्रयास है। यथार्थ की इन सच्चाईयों से रू-ब-रू कराती कहानियों को पढ़ते हुए पाठक पूरी तरह से खो जाता है। ये कहानियाँ आज भी उतनी ही सामयिक हैं जितनी सौ साल पहले थीं। कहानियों के अतिरिक्त प्रेमचंद ने चैदह उपन्यास और अनगिनत निबंध लिखे। उन्होंने अन्य भाषाओं की कुछ पुस्तकों को भी हिन्दी में अनुदित किया।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2014
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801791
- ISBN-13: 9788190801799
DESCRIPTION:
1919 में प्रकाशित उपन्यास सेवासदन मूलतः उर्दू में लिखा गया था और इसका नाम था, बाज़ारे-हुस्न। इससे पहले मुंशी पे्रमचन्द ने लघु उपन्यास ही लिखे थे और यह उनका पहला महत्त्वपूर्ण उपन्यास था। इसकी कहानी बीसवीं सदी में वाराणसी की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है जहाँ नायिका सुमन अपने पति के साथ रहती है। प्रेम के अभाव में उनका दाम्पत्य जीवन सुखद नहीं था। दुखी और उदास सुमन इतनी मायूस हो जाती है कि पथ-भ्रष्ट होकर बनारस के एक कोठे पर पहुँच जाती है। फिर कहानी कुछ ऐसा मोड़ लेती है कि वह कोठे को छोड़ एक अनाथालय का रुख करती है और उनकी सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर देती है। अन्य कई उपन्यासों की तरह प्रेमचंद का यह उपन्यास भी स्त्री-केन्द्रित है जिसमें सुमन के किरदार के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के समाज पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 256 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643618
- ISBN-13: 9789350643617
DESCRIPTION:
1919 में प्रकाशित उपन्यास सेवासदन मूलतः उर्दू में लिखा गया था और इसका नाम था, बाज़ारे-हुस्न। इससे पहले मुंशी पे्रमचन्द ने लघु उपन्यास ही लिखे थे और यह उनका पहला महत्त्वपूर्ण उपन्यास था। इसकी कहानी बीसवीं सदी में वाराणसी की पृष्ठभूमि पर केन्द्रित है जहाँ नायिका सुमन अपने पति के साथ रहती है। प्रेम के अभाव में उनका दाम्पत्य जीवन सुखद नहीं था। दुखी और उदास सुमन इतनी मायूस हो जाती है कि पथ-भ्रष्ट होकर बनारस के एक कोठे पर पहुँच जाती है। फिर कहानी कुछ ऐसा मोड़ लेती है कि वह कोठे को छोड़ एक अनाथालय का रुख करती है और उनकी सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर देती है। अन्य कई उपन्यासों की तरह प्रेमचंद का यह उपन्यास भी स्त्री-केन्द्रित है जिसमें सुमन के किरदार के माध्यम से प्रेमचंद ने उस समय के समाज पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 24 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174830979
- ISBN-13: 9788174830975
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है । 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकडों कहानियों और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, गबन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ। उनकी चुनी हुई रोचक, सरल कहानियां चित्रों सहित प्रकाशित की गई हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801732
- ISBN-13: 9788190801737
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2016
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9380717121
- ISBN-13: 9789380717128
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2016
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9380717105
- ISBN-13: 9789380717104
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801759
- ISBN-13: 9788190801751
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9380300107
- ISBN-13: 9789380300108
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174831509
- ISBN-13: 9788174831507
DESCRIPTION:
‘निर्मला’ मुंशी प्रेमचंद की जानी-मानी रचना है जिसमें उन्होंने भारत में महिलाओं के प्रति होने वाले सामाजिक अन्याय पर रोशनी डाली है। निर्मला पन्द्रह साल की कमसिन लड़की है जो दहेज प्रथा के कारण, एक बूढ़े व्यक्ति से ब्याही जाती है। विवाह के बाद निर्मला को किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और इन सबका उसके दिल पर क्या असर पड़ता है-इस सबका उपन्यास में मार्मिक वर्णन है। हिन्दी साहित्य जगत में मुंशी प्रेमचंद का अग्रणी स्थान है और 1928 में पहली बार प्रकाशित ‘निर्मला’ आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी तब थी।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8174830987
- ISBN-13: 9788174830982
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 136 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640880
- ISBN-13: 9789350640883
DESCRIPTION:
हिन्दी के पाठकों का प्रेमचन्द की कहानियों के प्रति विशेष आकर्षण रहा है। वे कहानियां यदि लेखक की भी पसंदीदा हों और उन्हें आलोचकों ने भी सराहा हो तो कहना ही क्या! ऐसी ही चुनिंदा कहानियों को पाठकों के लिए इस पुस्तक में संगृहीत किया गया है। यथार्थ की सच्चाइयों से रू-ब-रू कराती इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक उनमें पूरी तरह खो जाता है। यही कहानीकार की सफलता का मूल मन्त्र है और यही प्रेमचन्द की विशेषता है।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2009
- Pages: 24 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801740
- ISBN-13: 9788190801744
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है । 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकडों कहानियों और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, गबन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ। उनकी चुनी हुई रोचक, सरल कहानियां चित्रों सहित प्रकाशित की गई हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2016
- Pages: 24 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9380300115
- ISBN-13: 9789380300115
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है । 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकडों कहानियों और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, गबन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ। उनकी चुनी हुई रोचक, सरल कहानियां चित्रों सहित प्रकाशित की गई हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2013
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801724
- ISBN-13: 9788190801720
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 93807171310
- ISBN-13: 9789380717135
DESCRIPTION:
यह उपन्यास 1930 में लिखा गया था जब गांधीजी का सत्याग्रह आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर था। प्रेमचंद गांधी जी से बहुत प्रभावित थे और उन्हीं की तरह उनकी सहानुभूति देश के करोड़ों किसानों और गरीब मज़दूरों के साथ थी जिसकी झलक इस उपन्यास में मिलती है। अपने घर-परिवार से नाखुश, नौजवान अमरकान्त अपने जीवन में प्रेम और मकसद पाने के लिए घर से निकल जाता है और जा बसता है शूद्रों की बस्ती में। कहानी में जहां एक तरफ हिन्दू-मुसलमान, मालिक-मज़दूर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच का रिश्ता दर्शाया गया है, वहीं हिंसा और अहिंसा के बीच टकराव भी स्पष्ट मिलता है। आठ दशक पहले लिखे इस उपन्यास में जिस समाज का चित्रण है वही यथार्थ भारत के समाज में आज भी मिलता है। सरल भाषा और पात्रों के सटीक चित्रण के कारण ‘उपन्यास-सम्राट’ प्रेमचंद आज भी हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 320 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350643626
- ISBN-13: 9789350643624
DESCRIPTION:
यह उपन्यास 1930 में लिखा गया था जब गांधीजी का सत्याग्रह आन्दोलन अपनी चरम सीमा पर था। प्रेमचंद गांधी जी से बहुत प्रभावित थे और उन्हीं की तरह उनकी सहानुभूति देश के करोड़ों किसानों और गरीब मज़दूरों के साथ थी जिसकी झलक इस उपन्यास में मिलती है। अपने घर-परिवार से नाखुश, नौजवान अमरकान्त अपने जीवन में प्रेम और मकसद पाने के लिए घर से निकल जाता है और जा बसता है शूद्रों की बस्ती में। कहानी में जहां एक तरफ हिन्दू-मुसलमान, मालिक-मज़दूर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच का रिश्ता दर्शाया गया है, वहीं हिंसा और अहिंसा के बीच टकराव भी स्पष्ट मिलता है। आठ दशक पहले लिखे इस उपन्यास में जिस समाज का चित्रण है वही यथार्थ भारत के समाज में आज भी मिलता है। सरल भाषा और पात्रों के सटीक चित्रण के कारण ‘उपन्यास-सम्राट’ प्रेमचंद आज भी हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2017
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801716
- ISBN-13: 9788190801713
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801708
- ISBN-13: 9788190801706
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2015
- Pages: 32 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8190801708
- ISBN-13: 9788190801706
DESCRIPTION:
मुंशी प्रेमचन्द की गिनती हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में की जाती है। 1880 में उनका जन्म वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनका घर का नाम धनपतराय था। स्कूल में अध्यापन का कार्य करते हुए उन्होंने कहानियां और उपन्यास लिखने शुरू किये। उन्होंने सैकड़ों कहानियां और एक दर्जन के लगभग उपन्यास लिखे जिनमें से गोदान, ग़बन, सेवासदन, रंगभूमि, कायाकल्प और निर्मला बहुत प्रसिद्ध हैं। 1936 में उनका देहान्त हुआ।


SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Premchand (Author)
- Binding :Paperback
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 328 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170284325
- ISBN-13: 9788170284321
DESCRIPTION:
‘उपन्यास सम्राट’ की उपाधि पाने वाले मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के सबसे अधिक लोकप्रिय लेखक हैं। उन्होंने अपने जीवकाल में चौदह उपन्यास, ढाई सौ कहानियां और अनगिनत निबंध लिखे। इसके अतिरिक्त उन्होंने कुछ अन्य भाषाओं की पुस्तकों को हिन्दी में अनूदित किया। उनका सारा लेखन यथार्थ पर आधारित था और उसके माध्यम से उस समय की सामाजिक स्थितियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने का उनका एक प्रयास भी था। बाल-विवाह, गरीबी, भुखमरी, ज़मींदारों के अत्याचार अक्सर उनके लेखन का विषय थे। 1936 में लिखा गोदान उनका आखिरी उपन्यास है जिसे सबसे महत्त्वपूर्ण कृति माना जाता है। गोदान गांव में रहने वाले उस परिवार की कहानी है जो कठिनाइयों का सामना करते हुए हिम्मत नहीं हारता।
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