Hindi Literature Books
Hindi Literature Books
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SPECIFICATION:
- Publisher : Diamond Books
- By : Ashwani Prashar
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2017
- Pages : 208
- Weight : 300 g.
- Size : 5.5 x 0.4 x 8.5 inches
- ISBN-10: 8171826253
- ISBN-13: 978-8171826254
DESCRIPTION:
One of the greatest figures of wisdom and knowledge in the Indian history is Chanakya. Chanakya is regarded as a great thinker and diplomat in India who is traditionally identified as Kautilya or Vishnu Gupta. Originally a professor of economics and political science at the ancient Takshashila University, Chanakya managed the first Maurya Emperor Chandragupta's rise to power at a young age. Instead of acquiring the seat of kingdom for himself, he crowned Chandragupta Maurya as the emperor and served as his chief advisor. Chanakya Neeti is a treatise on the ideal way of life, and shows Chanakya's deep study of the Indian way of life. These practical and powerful strategies provide a path to live an orderly and planned life. If these strategies are followed in any sphere of life, victory is certain. Chanakya also developed Neeti-Sutras (aphorisms ? pithy sentences) that tell people how they should behave. Chanakya used these sutras to groom Chandragupta and other selected disciples in the art of ruling a kingdom. But these sutras are also relevant in this modern age and are very useful for us. For the first time, Chanakya Neeti and Chanakya Sutras are compiled in this book to make Chanakya?s invaluable wisdom easily available to the common readers. This book presents Chanakya?s powerful strategies and principles in a very lucid manner for the benefit of our valuable readers.SPECIFICATION:
- Publisher : Vani Prakashan
- By : Vinod Kumar Shukla
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2012
- Pages : 170
- Weight : 250 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 9352291239
- ISBN-13: 978-9352291236
DESCRIPTION:
ऐसे नीरस किंतु सरस जीवन की कहानी कैसी होगी? कैसी होगी वह कहानी जिसके पात्र शिकायत करना नहीं जानते, हाँ! जीवन जीना अवश्य जानते हैं, प्रेम करना अवश्य जानते हैं, और जानते हैं सपने देखना। सपने शिकायतों का अच्छा विकल्प हैं। यह भी हो सकता है कि सपने देखने वालों के पास और कोई विकल्प ही न हो। यह भी हो सकता है कि शिकायत करने वाले यह जानते ही ना हों कि उन्हें शिकायत कैसे करनी चाहिये। या तो यह भी हो सकता है कि शिकायत करने वाले यह मानते ही न हों कि उनके जीवन में शिकायत करने जैसा कुछ है भी! ऐसे ही सपने देखने वाले किंतु जीवन को बिना किसी तुलना और बिना किसी शिकायत के जीने वाले, और हाँ, प्रेम करने वाले पात्रों की कथा है विनोदकुमार शुक्ल का उपन्यास “दीवार में एक खिड़की रहती थी ।About the Author
1 जनवरी 1937 राजनांद गाँव (मध्य प्रदेश) में जन्मे श्री विनोद कुमार शुक्ल का पहला कविता संग्रह ‘लगभग जयहिंद’ पहचान सीरीज़ के अंतर्गत 1971 में प्रकाशित हुआ था। उनका दूसरा कविता संग्रह ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह’ सम्भावना प्रकाशन ने 1981 में और वहीं से उनका पहला उंप्यास ‘नौकर की कमीज़’ 1979 में छपा। जिसे मध्यप्रदेश साहित्य परिषद का विरसिंघ देव पुरुस्कार सन 1979-80 में,रज़ा पुरुस्कार 1981 में,सृजनभारती सम्मान उड़ीसा की वर्णमाला संस्था द्वारा सन 1992 में, जैसे अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। 1994-95 में मैथिलीशरण गुप्त सम्मान।
SPECIFICATION:
- Publisher : Maple Press
- By : Munshi Premchand
- Cover : Paperback
- Language : English
- Edition : 2015
- Pages : 184
- Weight : 250 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 9350336588
- ISBN-13: 978-9350336588
DESCRIPTION:
Premchand's literary career started as a freelancer in Urdu. In his initial short stories, he has depicted the patriotic upsurge that was sweeping the country in the first decade of the 19th century and wrote of the life around him and made his readers aware of the problems of the urban middle-class and the country's villages.
This is a popular novel by Premchand. Virjan is a beautiful woman who begins to live with her relatives after the sudden demise of her parents. Her distant cousin starts loving her due to the childhood attachment. Virjan being unaware of this fact gets married into a good household. Virjan’s husband Kamlacharan, who is accustomed to jolly and luxurious lifestyle, falls for Virajan’s ethereal beauty. However, Kamlacharan dies in an accident and later when Virjan comes to know that Pratap loved her, she becomes sad…
SPECIFICATION:
- Publisher : Maple Press
- By : Munshi Premchand
- Cover : Paperback
- Language : English
- Edition : 2013
- Pages : 128
- Weight : 200 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 9350336634
- ISBN-13: 978-9350336632
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal & Sons
- By : Amrita Pritam
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2015
- Pages : 132
- Weight : 200 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 9350641933
- ISBN-13: 978-9350641934
SPECIFICATION:
- Publisher : Hind Yugm
- By : Divya Prakash Dubey
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2014
- Pages : 176
- Weight : 200 g.
- Size : 0.8 x 0.5 inches
- ISBN-10: 9381394822
- ISBN-13: 978-9381394823
DESCRIPTION:
‘मसाला चाय’ की कहानियाँ आपकी ज़िन्दगी जैसी हैं। कभी थोड़ा ख़ुश, कभी थोड़ा उदास तो कभी दोस्तों के साथ ख़ुशियों जैसे तो कभी सबसे नज़र बचाकर आँसू बहाती हुईं। मसाला चाय को पढ़ना ऐसे ही है जैसे अपने कॉलेज की कैंटीन में सालों बाद जाकर दोस्तों के साथ चाय पीते हुए गप्पे मारना। अगर आप हिन्दी पढ़ना शुरू करना चाहते हैं तो यह किताब आपकी पहली किताब हो सकती है। बिल्कुल बोलचाल की भाषा में लिखी हुई किताब। आपको पढ़ते हुए ऐसा लगेगा जैसे लेखक जैसे लेखक कहानियाँ पढ़कर सुना रहा है। वैधानिक चेतावनी: मसाला चाय जिसको अच्छी लगती है उसको उसको बहुत अच्छी लगती है जिसको बुरी उसको बहुत बुरी।SPECIFICATION:
- Publisher : Maple Press
- By : Munshi Premchand
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2015
- Pages : 184
- Weight : 250 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 935033657X
- ISBN-13: 978-9350336571
DESCRIPTION:
His real name was Dhanpat Rai but he is better known by his pen name Munshi Premchand. He has been read and studied both in India and abroad as one of the greatest writers of the century.
Premchand's literary career started as a freelancer in Urdu. In his initial short stories he has depicted the patriotic upsurge that was sweeping the country in the first decade of the 19th century. In 1914, Premchand started writing in Hindi. Premchand was the first Hindi author to introduce realism in his writings. He pioneered the new art form of fiction with a social purpose. He wrote of the life around him and made his readers aware of the problems of the urban middle-class and the country's villages. Besides being a great novelist, Premchand was also a social reformer and thinker. Nirmala is the story of a young girl who is married to an elderly man due to the lack of dowry after her father's death. It describes the misfortune and suspicions that she has to face and her downfall after the continuous stress and mental trauma that she has to go through. The story very well depicts the pathetic social condition of women during that era.
SPECIFICATION:
- Publisher : Manjul Publishing House
- By : Ashutosh Garg
- Cover : Paperback
- Language : English
- Edition : 2017
- Pages : 198
- Weight : 200 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 8183228062
- ISBN-13: 978-8183228060
DESCRIPTION:
अश्वत्थामामहाभारत का शापित योद्धा इसे नियति की विडंबना ही कहेंगे कि महाभारत की गाथा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अमर पात्र होने के बावजूद, अश्वत्थामा सदा उपेक्षित रहा है. पौराणिक साहित्य में अश्वत्थामा सहित और भी लोग हैं, जिन्हें अमर मन जाता है. परंतु जहाँ अन्य लोगों कोअमर होने का 'वरदान' प्राप्त हुआ, वहीँ अश्वत्थामा को अमरता 'शाप' में मिली थी! युद्ध की कथा सदा निर्मम नरसंहार, निर्दोषों की हत्या और दुष्कर्मों की काली स्याही से ही लिखी जाती है. तो फिर महाभारत जैसे महायुद्ध में अश्वत्थामा से ऐसे कौन-से दो अक्षम्य अपराध हो गये थे, जिनके लिए
श्रीकृष्ण ने उसे एकाकी व जर्जर अवस्था में हज़ारों वर्षों तक पृथ्वी पर भटकने का विकट शाप दे डाला? उसके मन में यह प्रश्न उठता है कि श्रीकृष्ण ने इतना कठोर शाप देकर उसके साथ अन्याय किया या फिर इसके पीछे भगवान का कोई दैवी प्रयोजन था? क्या अश्वत्थामा के माध्यम से भगवान कृष्ण
आधुनिक समाज को कोई संदेश देना चाहते थे? अधिकांश जगत अश्वथामा को दुर्योधन कि भांति कुटिल और दुराचारी समझता है. लेखक ने इस उपन्यास में अश्वत्थामा के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए, उस महान योद्धा के दृष्टिकोण से महाभारत की कथा को नए रूप में प्रस्तुत
किया है. साहित्य के कन्धों पर यह ज़िम्मेदारी है कि विस्मृत नायक-नायिकाओं को पुनर्स्थापित करें. 'अश्वत्थामा' इस श्रेणी में एक आवश्यक महनीय प्रयास है. - डॉ. कुमार विश्वास, कवि एवं राजनेताअर्धसत्य, मनुष्य के लिए सदैव सुख का कारण और आत्म-मंथन का विषय रहा है. 'अश्वत्थामा' का पात्र इसी द्वंद्व का प्रतीक है.- सुतपा सिकदार, लेखिका एवं फिल्म निर्माता.
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By : Jaishankar Prasad
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2015
- Pages : 176
- Weight : 250 g.
- Size : 8.5 x 5.5 x 0.4 inches
- ISBN-10: 9350643022
- ISBN-13: 978-9350643020
DESCRIPTION:
जयशंकर प्रसाद बहुआयामी रचनाकार थे। जिनकी लेखन और रंगमंच दोनों पर अच्छी पकड़ थी। कवि, नाटककार, कहानीकार होने के साथ-साथ वह उच्चकोटि के उपन्यासकार भी थे। जयशंकर प्रसाद ने तीन उपन्यास लिखे, तितली, कंकाल और इरावती। अंतिम उपन्यास इरावती उनके निधन के कारण अधूरा रह गया। कंकाल में लेखक ने हिन्दू धर्म के ठेकेदारों की सच्चाई को उद्घाटित किया है। सत्य और मोक्ष की खोज में लगे धर्म के अनुयायी कैसे अपनी वासना में खुद फँस जाते हैं और औरों को इसका शिकार बनाते हैं। धार्मिक स्थानों के बंद दरवाज़ों के पीछे काम और वासना का यह खेल कैसे लोगों को, विशेषकर मासूम और निर्दोष लड़कियों की जि़ंदगी को तबाह कर देता है, इन सबका बहुत ही मार्मिक ताना-बाना बुना गया है इस उपन्यास में।SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By : Amritlal Nagar
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2013
- Pages : 328
- Weight : 450 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 8170280052
- ISBN-13: 978-8170280057
DESCRIPTION:
‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ यशस्वी साहित्यकार अमृतलाल नागर का, उनके अन्य उपन्यासों की लीक से हटकर सर्वथा मौलिक उपन्यास है। इसमें ‘मेहतर’ कहे जानेवाले अछूतों में भी अछूत, अभागे अंत्यजों के चारों ओर कथा का ताना-बाना बुना गया है और उनके अंतरंग जीवन की करुणामयी, रसार्द्र और हृदयग्राही झांकी प्रस्तुत की गई है। ‘मेहतर’ जाति किन सामाजिक परिस्थितियों में अस्तित्व में आई, उसकी धार्मिक-सांस्कृतिक मान्यताएं क्या हैं, आदि प्रश्नों के उत्तर तो दिए ही गए हैं, साथ ही वर्तमान शताब्दी के पूर्वार्द्ध की राष्ट्रीय और सामाजिक हलचलों का दिग्दर्शन भी जीवंतता के साथ कराया गया है। वस्तुतः ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ की कथा का संगुम्फन एक बहुत व्यापक कैनवास पर किया गया है। ढाई-तीन वर्षों के अथक परिश्रम से, विभिन्न मेहतर-बस्तियों के सर्वेक्षण व वहां के निवासियों के ‘इंटरव्यू’ के आधार पर लिखी गई इस बृहत् औपन्यासिक कृति में नागरजी के सहृदय कथाकार और सजग समाजशास्त्री का अद्भुत समन्वय हुआ है।SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By : Saadat Hasan Manto
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2016
- Pages : 159
- Weight : 360 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 9350643820
- ISBN-13: 978-9350643822
DESCRIPTION:
अगर आपको मेरी कहनियाँ अश्लील या गन्दी लगती है , तो जिस समाज में आप रह रहे है , वह अशलील और गन्दा है . मेरी कहनियाँ तो केवल सच दर्शाती है .....अक्शर ऐसा कहते थे मंटो जब उन पर अश्लीलता के इल्जाम लगते . बेबाक सच लिखने वाले मंटो बहुत से ऐसे मुदो पर भी लिखते जिन्हें उस समय के समाज में बंद दरवाजो के पीछे दबा कर, छुपा कर रखा जाता था . सच सामने लाने के साथ, कहानी कहने की अपनी बेमिसाल अदा और उर्दू जबान पर बेजोड़ पकड़ ने सआदत हसन मंटो को कहानी का बेताज बादशाह बना दिया . मात्र 43 सालो की जिन्दगी में उन्होंने 200 से अधिक कहानियाँ , एक उपन्यास , तीन निबन्ध संग्रह और अनेक नाटक ,रेडियो और फिल्म पटकथा लिखी . फ्रेंच और रूसी लेखको से प्रभावित , वामपंथी सोच वाले मंटो के लेखन में सचाई को पेश करने की ताकत है जो लम्बे अर्से तक पाठक के दिलो दिमाग पर अपनी पकड़ बनाए रखती है २०१२ मे पूरे हिन्दुतान में मनाई गयी मंटो की जन्म -शताब्दी इस बात का सबूत है की मंटो आज भी अपने पाठकों और प्रशंसकों के लिए जिन्दा है .
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By : Chatursen
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2015
- Pages : 176
- Weight : 250 g.
- Size : 8.5 x 5.5 x 0.4 inches
- ISBN-10: 9350643332
- ISBN-13: 978-9350643334
DESCRIPTION:
बड़ी बेगम की कई कहानियों में भी मुगलकाल के इतिहास की झलक मिलती है। उनकी पहली कहानी 'सच्चा गहना,' जो इस पुस्तक में भी सम्मिलित है, उस समय की लोकप्रिय मासिक पत्रिका गृहलक्ष्मी में 1917-1918 में प्रकाशित हुई थी। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और भाषा पर पकड़ उनके लेखन को विशेष पहचान देती है।SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By : Amritlal Nagar
- Cover : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2013
- Pages : 248
- Weight : 400 g.
- Size : 7.9 x 5.5 x 1.6 inches
- ISBN-10: 8170280060
- ISBN-13: 978-8170280064
DESCRIPTION:
यशस्वी साहित्यकार अमृतलाल नागर का चर्चित उपन्यास ‘खंजन नयन’ महाकवि सूरदास के गरिमामय जीवन की सार्थक प्रस्तुति है। नागर जी ने अपने उपन्यास ‘मानस का हंस’ में तुलसीदास की जीवन-गाथा को उपन्यास के रूप में प्रस्तुत किया था-उसी क्रम में सूरदास के जीवन के विभिन्न पक्षों का चित्रण इस कृति के माध्यम से किया है। सूरदास के व्यक्तित्व को नागर जी ने तीन स्तरों पर प्रस्तुत किया है-तल, अतल और सुतल। व्यक्तित्व के भीतर अनेक व्यक्तित्व होते हैं। नागर जी ने भी महाकवि को सूरज, सूरस्वामी, सूरश्याम, सूरदास, अनेक रूप दिए हैं और अन्त में जहां ये तीनों रूप समरस होते हैं वहां सूरदास राधामय हो जाते हैं। डेढ़ वर्ष की साधना के पश्चात् नागर जी ने महाकवि की निर्वाण-स्थली परासौली में बैठकर यह उपन्यास पूरा किया था । उनकी निष्ठा, श्रद्धा, सूर के प्रति समर्पण के दर्शन इस उपन्यास के माध्यम से पाठकों को अवश्य होंगे।
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