Indian Poetry Books
Indian Poetry Books
110 products
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Irshad Khan 'Sikandar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534436
- ISBN-13 : 9789386534439
DESCRIPTION:
इश्क़ को लेकर हर शायर की अपनी-अपनी समझ और कल्पना है, और इश्क़ से आगे दूसरा इश्क़ क्या है, पढ़िए युवा शायर इरशाद ख़ान ‘सिकन्दर’ की इन ग़ज़लों में। ‘सिकन्दर’ की ग़ज़लों में एक नयापन और अलग-सा ज़ायक़ा है; जहाँ एक तरफ़ वो शायरी की परंपरा के दायरे में रहकर शे’र कहते हैं तो वहीं लफ़्ज़ों के एकदम नये और अनूठे प्रयोग भी करते हैं। ‘सिकन्दर’ की शायरी उनकी गंगा-जमुनी सोच और संवेदना से उभरती है, जिसकी एक बेहतरीन मिसाल है - ज़िन्दगी का विष तो जूँ का तूँ रहा शायरी के कंठ नीले हो गये उर्दू शायरी में ‘विष’ और ‘कंठ’ जैसे विशुद्ध हिन्दी के शब्दों का इतना सहज और सशक्त प्रयोग शायद ही कहीं सुनने-पढ़ने को मिलता है! 1983 में उत्तर प्रदेश के एक साधारण परिवार में जन्मे इरशाद खान ने बिना किसी औपचारिक शिक्षा के ही बहुत कम समय में उर्दू, हिन्दी और भोजपुरी के साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में अपनी पुख़्ता पहचान बनाई है। मुशायरों के अलावा रेडियो, टेलीविज़न, म्यूज़िक एल्बम और फ़िल्मी संगीत जगत में भी निरन्तर सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त हिन्दी पत्रिका लफ़्ज़ का संपादन कार्य भी लम्बे समय से संभालते आ रहे हैं। 2016 में प्रकाशित उनके पहले ग़ज़ल-संग्रह आँसुओं का तर्जुमा को पाठकों और समालोचकों ने खूब सराहा है। ग़ज़लों के उसी सिलसिले को आगे बढ़ाता हुआ पेश है, उनका ये, दूसरा इश्क़ । इरशाद खान ‘सिकन्दर’ दिल्ली में रहते हैं। उनका संपर्क है - info@irshadkhansikandar.com, www.irshadkhansikandar.com
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Irshad Khan 'Sikandar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2020
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373123
- ISBN-13 : 9789389373127
DESCRIPTION:
‘‘इरशाद ख़ान सिकन्दर अपना अलग रास्ता चुनने की कोशिश में हैं। उसके मज़ामीन ज़मीन से जुड़े हैं और मौजूद की अक्कासी करते हैं। ख़याली महबूब से परे वो जीते-जागते लोगों से हमकलाम हैं।’’ - रफ़ी रज़ा ‘‘इरशाद की शायरी में घर भी है बाज़ार भी है। नौजवानी का ख़ुमार भी है और मुहब्बत में किसी का इन्तिज़ार भी है। ज़िन्दगी से वास्ते भी हैं और चहल-पहल करते हुए रास्ते भी हैं।’’ - शकील आज़मी ‘‘इरशाद ख़ान सिकन्दर ने अपने बयान को न फ़लसफ़ों से बोझिल करने की कोशिश की है न ऐसे अल्फ़ाज़ से जिसके लिए डिक्शनरी का सहारा लेना पड़ता है। ये मुकम्मल तौर पर ज़िन्दगी से जुड़ा इज़हारिया है जिसमें तासीर भी मौजूद है और तजरुबा भी।’’ - ज़ुल्फ़िक़ार आदिल (पाकिस्तान) ‘‘इरशाद की ग़ज़ल पाठक को ज़रा रुककर आराम से बैठने और सोचने पर मजबूर करती है। एक थके हुए ज़ेहन को सुकून देने का काम करती है और यही वजह है कि इस ग़ज़ल की उम्र लम्बी होगी।’’ - आदिल रज़ा मन्सूरी आँसुओं का तर्जुमा इरशाद ख़ान सिकन्दर की पहली किताब है जो अब नयी साज-सज्जा में हाज़िर है। इसके कई शे’र बहुत लोकप्रिय हुए जिन्हें अन्य लेखकों ने अपनी किताबों या लेखों में उद्धृत किया है। दूसरा इश्क़ इरशाद की दूसरी किताब भी शायरी के पाठकों के बीच बहुचर्चित है। 8 अगस्त 1983 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले में जन्मे इरशाद ने अपना खास पाठक वर्ग तैयार कर लिया है। वे शायरी, कहानी और नाट्य लेखन के साथ-साथ सिनेमा जगत में बतौर गीतकार सक्रिय हैं। इनका संपर्क है: ik.sikandar@gmail.com, www.irshadkhansikandar.com
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Ameer Kazalbash (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641038
- ISBN-13 : 9789350641033
DESCRIPTION:
लोकप्रिय उर्दू शायर अमीर आग़ा क़ज़लबाश की एक-से-एक बढ़कर चुनी हुई नज़्में, ग़ज़लें और शे’र जिनमें आज की इन्सानी ज़िन्दगी के सभी रंग-शायर के अपने खास अंदाज़ में।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Kamleshwar (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 240 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170284910
- ISBN-13 :9788170284918
DESCRIPTION:
"ग़ज़ल के इतिहास में जाने की ज़रूरत मैं महसूस नहीं करता। साहित्य की हर विधा अपनी बात और उसे कहने के ढब से, संस्कारों से फ़ौरन पहचानी जाती है। ग़ज़ल की तो यह ख़ासियत है। आप उर्दू जानें या न जानें, पर ग़ज़ल को जान भी लेते हैं और समझ भी लेते हैं। जब 13वीं सदी में, आज से सात सौ साल पहले हिन्दी खड़ी बोली के बाबा आदम अमीर खुसरो ने खड़ी बोली हिन्दी की ग़ज़ल लिखी: जब यार देखा नयन भर दिल की गई चिंता उतर, ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाय कर। जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया, हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर। तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है, तुझे दोस्ती बिसियार है इक शब मिलो तुम आय कर। जाना तलब तेरी करूं दीगर तलब किसकी करूं, तेरी ही चिंता दिल धरूं इक दिन मिलो तुम आय कर। तो ग़ज़ल का इतिहास जानने की ज़रूरत नहीं थी। अमीर खुसरो के सात सौ साल बाद भी बीसवीं सदी के बीतते बरसों में जब दुष्यंत ने ग़ज़ल लिखी : कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए, कहाँ चिराग़ मय्यसर नहीं शहर के लिए। तब भी इतिहास को जानने की ज़रूरत नहीं पड़ी। जो बात कही गयी, वह सीधे लोगों के दिलो-दिमाग़ तक पहुँच गयी। और जब 'अदम' गोंडवी कहते हैं : ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़रों में, मुसलसल फ़न का डीएम घुटता है इन अदबी इदारों में। तब भी इस कथन को समझने के लिए इतिहास को तकलीफ़ देने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ग़ज़ल एकमात्र ऐसी विधा हजो किसी ख़ास भाषा के बंधन में बँधने से इंकार करती है। इतिहास को ग़ज़ल की ज़रूरत है, ग़ज़ल को इतिहास की नहीं। इसलिए यह संकलन अभी अधूरा है। ग़ज़ल की तूफ़ानी रचनात्मक बाढ़ को संभाल सकना सम्भव नहीं है। शेष-अशेष अगले संकलनों में। - कमलेश्वर "
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Ravindra Jain (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 136 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642352
- ISBN-13 :9789350642351
DESCRIPTION:
सौदागर, चोर मचाए शोर, दुलहिन वही जो पिया मन भाये, राम तेरी गंगा मैली, हिना जैसी लोकप्रिय फिल्मों के संगीत-निर्देशक रवीन्द्र जैन लोकप्रिय संगीतकार होने के साथ एक बहुत अच्छे गीतकार और गायक भी हैं। अलीगढ़ में जन्मे रवीन्द्र जैन जन्मान्ध हैं लेकिन कभी इसको अपने रास्ते की बाधा नहीं बनने दिया। इलाहाबाद से संगीत प्रभाकर की उपाधि पाकर वे मुंबई आए और हिन्दी फिल्म जगत में अपने संगीत का सिक्का जमाया। फिल्मों के अतिरिक्त टेलीविज़न धारावाहिक रामायण, श्रीकृष्ण, अलिफ-लैला का भी संगीत-निर्देशन किया। उनके कई गैर-फिल्मी एलबम भी हैं। रवीन्द्र जैन जितने अच्छे संगीतकार हैं उतने ही अच्छे गीतकार और शायर भी हैं। उनके बारे में प्रसिद्ध कवि गोपालदास ‘नीरज’ का कहना है: ‘‘श्री रवीन्द्र जैन की गज़लों पर नज़र डालते हैं तो यह देखकर बहुत आश्चर्य होता है कि जिसने कभी उर्दू ज़बान पढ़ी ही नहीं, उसने कैसे ऐसी ग़ज़लें और शे’र कहे जो उस्तादों द्वारा कहे जाते हैं।’’ इस पुस्तक में प्रस्तुत उनकी ग़ज़लें, नज्में और शे’र आपको बहुत पसन्द आएंगे।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Nida Fazli(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641046
- ISBN-13 :9789350641040
DESCRIPTION:
भारत के उर्दू शायरों में निदा फ़ाज़ली आज एक महत्त्वपूर्ण नाम है। उन्होंने नयी शैली में नए विषयों पर लिखकर शायरी को एक नया मोड़ दिया है। उनके कलाम में देश की ज़िन्दगी अपने लोकरंगों के लिबास में पूरी तरह मौजूद है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Ahmad Faraz(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 336 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350641798
- ISBN-13 :9789350641798
DESCRIPTION:
उर्दू दुनिया यानी पाकिस्तान-हिन्दुस्तान का बड़ा और मक़बूल शायर अहमद फ़राज़, जिसकी शायरी, दिल, दिमाग़ और रूह को नए जज़्बों और एहसास से सराबोर कर देती है। हिन्दी में पहली बार ‘ख़ानाबदोश’ के बहाने फ़राज़ की शायरी का सम्पूर्ण स्वाद पाठक को एक ही जगह मिलेगा। इसमें उनके उर्दू में अब तक प्रकाशित सभी दस ग़ज़ल-संग्रहों के अलावा उनकी नई ताज़ा ग़ज़लें भी शामिल हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Ahmad Faraz(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170283876
- ISBN-13 :9788170283874
DESCRIPTION:
प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर अहमद फ़राज़ की चुनी हुई शायरी जो अपने देश से ज्यादा दूसरे देशों में रहे और रहते हैं और एक जलावतन शायर के रूप में मानो समूचे एशिया की आवाज़ बनकर खड़े हैं। उनकी शायरी में पाकिस्तान की ज़िन्दगी का जिसमें आग, धुआँ, मारकाट, लूटपाट आदि आए दिन होते रहते हैं और हर किसी पर ख़ौफ़ के साये लहराते रहते हैं, खूबसूरत चित्रण बड़ी बारीकी से मिलता है। साथ ही, हुस्न और इश्क़ उनकी शायरी का एक नुमायां रंग है जिसे उन्होंने अपने ही अंदाज़ में रंगा है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sudarshan Faakir(Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 176 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373093
- ISBN-13 :9789389373097
DESCRIPTION:
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी’ जैसी मशहूर ग़ज़लें और प्रसिद्ध रामधुन ‘हे राम’ के रचयिता की यह इकलौती किताब है जिसमें उनकी ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों को सम्मिलित किया गया है। सुदर्शन फ़ाकिर की ग़ज़लों और गीतों को बेगम अख़्तर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले, पंकज उधास और अन्य जाने-माने गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। लेकिन उनकी सबसे ज़्यादा ग़ज़लों और गीतों को जगजीत सिंह ने ही गाया। सुदर्शन फ़ाकिर और जगजीत सिंह न केवल अच्छे दोस्त थे बल्कि एक दूसरे के पूरक भी थे। सुदर्शन फाकिर ने कई फ़िल्मों के लिए गीत भी लिखे और ‘दूरियाँ’ फिल्म के उनके गीत ‘मेरे घर आना ज़िन्दगी...’ को 1980 में ‘फिल्म वल्र्ड अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। एनसीसी में गाये जाने वाले गीत ‘हम सब भारतीय हैं’ भी उन्हीं का लिखा हुआ है। 1934 में फ़िरोज़पुर में जन्मे सुदर्शन फ़ाकिर ने डीएवी कॉलेज जालंधर से अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्हें कॉलेज के दिनों से ही रंगमंच, कविता और शायरी का शौक था। कुछ वर्ष ऑल इंडिया रेडियो जालंधर में कार्यरत रहने के बाद वे बेगम अख़्तर के कहने पर मुंबई चले गये। लेकिन उनका परिवार जालंधर में ही रहा और वे दोनों शहरों में लगातार आते-जाते रहे। सुदर्शन फ़ाकिर एकान्तप्रिय और सकुंचित स्वभाव के थे और बहुत कम लोगों से खुलकर बात करते थे। शौहरत से दूरी बनाये रखने वाले सुदर्शन फ़ाकिर हमेशा गुमनामी के अंधेरे में ही रहे और शायद इसीलिए उनके जीवनकाल में उनकी कोई किताब सामने नहीं आई। 12 फरवरी 2008 को सुदर्शन फ़ाकिर की कलम हमेशा के लिए रुक गयी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sohan Lal Dwivedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2017
- Pages: 16 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642018
- ISBN-13 :9789350642016
DESCRIPTION:
यह पुस्तक हिन्दी के जाने-माने कवि सोहनलाल द्विवेदी की चार कविताओं का संकलन है। इन सरल और मज़ेदार कविताओं को पढ़ने में बच्चों को आनंद मिलेगा।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sohan Lal Dwivedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 16 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350640376
- ISBN-13 :9789350640371
DESCRIPTION:
इस पुस्तक में उत्साह, उमंग और साहस भरने वाली तेरह सरल कविताएँ प्रस्तुत हैं। हिन्दी साहित्य में सोहनलाल द्विवेदी की अपनी एक अलग पहचान है। उन्होंने बच्चों के लिए बहुत-सी पुस्तकें लिखी हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Sohan Lal Dwivedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2011
- Pages: 24 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170286204
- ISBN-13 :9788170286202
DESCRIPTION:
अलेक्ज़ेंडर ड्यूमा के प्रसिद्ध उपन्यास 'थ्री मस्केटियर्स' का सरल हिंदी रूपांतरण हम पढ़ सकते हैं।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534967
- ISBN-13 :9789386534965
DESCRIPTION:
एक साथ पहली बार एक किताब में एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर की ग़ज़लें इस किताब में एक साथ दो ऐसे नामी शायरों, एक पाकिस्तानी शायर और एक हिन्दुस्तानी शायर, के कलाम प्रस्तुत हैं जिनकी शायरी में आधुनिकता की झलक मिलती है। पाकिस्तान के सऊद अशरफ़ उस्मानी की शायरी के बारे में मशहूर शायर अहमद नदीम क़ासमी साहब का कहना है कि ‘‘जब ग़ज़ल विधा से ऊब चुके लोग मुझसे ये कहते हैं कि अब इस विधा में कहने को कुछ नहीं रहा तो मैं उनको मश्वरा देता हूँ कि वो सऊद उस्मानी को पढ़ लें क्योंकि उसने ग़ज़ल के जिस्म में नयी जान फूँकी है। मैं उन्हें बताता हूँ कि सऊद अशरफ़ उस्मानी केवल आधुनिक ग़ज़लकार ही नहीं हैं बल्कि उससे भी आगे की चीज़ हैं।’’ वहीं अगर हिन्दुस्तान के रऊफ़ रज़ा की शायरी की बात की जाये तो उनकी शायरी में आधुनिकता परम्परा के साथ दाख़िल होती है। रऊफ़ रज़ा सिर्फ़ नींद की ख़ातिर नहीं सोना चाहते, वो अच्छे ख़्वाबों का चुनाव भी करना चाहते हैं। वो फूलों से बात करते हुए, गुलाबों की काश्त करते हुए उस मक़ाम पर पहुँचते हैं जहाँ शायर, ज़िन्दगी और बन्दगी का रहस्य खुद ही नहीं समझते बल्कि अपनी शायरी के ज़रिए पाठकों को समझाने में भी कामयाब होते हैं। इन दोनों शायरों की ग़ज़लें अभी तक उर्दू में ही है अब पहली बार इनकी ग़ज़लें देवनागरी में
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534975
- ISBN-13 :9789386534972
DESCRIPTION:
एक साथ पहली बार एक किताब में एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर की ग़ज़लें इस किताब में शामिल दोनों शायरों की विशेषता है कि ये सहज और सरल शब्दों में गम्भीर से गम्भीर विचार सफलतापूर्वक कह जाते हैं। जहाँ रफ़ी रज़ा को सोशल मीडिया पर अपने विचारों के कारण बहुत से लोगों की नाराज़गी उठानी पड़ती है तो वहीं तुफ़ैल चतुर्वेदी का भी यही हाल है। पाकिस्तान के शायर, रफ़ी रज़ा, की शायरी में जब मुहब्बत दाख़िल होती है तो पूरी कायनात में फूल से खिलने लगते हैं। ग़ुस्सा फूटता है तो बदला नहीं बेबसी होती है। रफ़ी रज़ा जब हैरत के संसार में प्रवेश करते हैं तो पाठक भी हैरतज़दा हो जाते हैं । वो बने-बनाये ढर्रे पर नहीं चलना चाहते बल्कि दूसरे विद्वानों के अनुभवों से लाभ लेते हुए सब कुछ स्वयं भी अनुभव करना चाहते हैं। रफ़ी रज़ा की ग़ज़लें पहली बार देवनागरी में प्रकाशित हो रही हैं। चुनिंदा बातों को छोड़कर हिन्दुस्तान के शायर, तुफ़ैल चतुर्वेदी, का व्यक्तित्व काफ़ी हद तक रफ़ी रज़ा से मिलता-जुलता है। लेकिन उनकी शायरी का रंग अलग है। तुफ़ैल चतुर्वेदी का कहना है- कोई झोंका नहीं है ताज़गी का तो फिर क्या फ़ायदा इस शायरी का उनके शे’रों में व्यंग्य की धार भी है और ‘करुण रस रसराज है’ वाली बात भी सत्य साबित होती है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 192 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534959
- ISBN-13 :9789386534958
DESCRIPTION:
एक साथ पहली बार एक किताब में एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर की ग़ज़लें इस किताब में जो एक पाकिस्तानी और एक हिन्दुस्तानी शायर एक साथ शामिल किए गए हैं उनकी ख़ासियत है कि वो अपनी ग़ज़लों में बिलकुल अलग क़िस्म और अनछुए मुद्दों को उठाते हैं। पाकिस्तान के शायर अज़हर फ़राग़ की शायरी की विशेषता उनके ताज़ा और अछूते विषय हैं। वे अपनी ग़ज़लों में कभी ख़्वाब देखते हैं, कभी ख़्वाबों को जीते हैं तो कभी ख़्वाबों से निकलकर हक़ीक़त का सामना करते हुए चराग़ लेकर हवा से मुक़ाबला करने निकल पड़ते हैं। वो अपने अन्दर और बाहर दोनों जगह बराबर नज़र जमाये हुए रहते हैं और ख़ुदकलामी नहीं वक़्त से रू-ब-रू होकर कलाम करते हैं। लेकिन कहीं भी ग़ज़ल की रूह को वो ठेस नहीं पहुँचाते और अपनी बात सलीक़े से कहने में कामयाब हो जाते हैं। हिन्दुस्तान के शायर, अहमद कमाल परवाज़ी, की शायरी जैसे ज़िन्दगी की मुश्किलों से होड़ लेती हुई, तीखे तन्ज़ कसती हुई सबको होशियार, ख़बरदार करती हुई आगे बढ़ती है। परवाज़ी रवायतों को तोड़ते और अपनी ग़ज़ल में ऐसे-ऐसे विषय पिरोते हैं जो शायद पहली बार उर्दू ग़ज़ल का हिस्सा बने हैं जैसे - रबी और खरीफ़ की फ़सल, बच्चों के स्कूल की फ़ीस, सियासत के दाँव-पेच, गाँव की ज़िन्दगी... और इन सब पर ग़ज़ल में गहरा चिंतन। इन दोनों शायरों की ग़ज़लें अभी तक उर्दू में ही हैं अब पहली बार इनकी ग़ज़लें देवनागरी में
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Tufail Chaturvedi (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534983
- ISBN-13 :9789386534989
DESCRIPTION:
"इक्कीसवीं सदी में पाकिस्तान में कैसी ग़ज़लें कही जा रही हैं, इसका अंदाज़ा आप इस किताब से लगा सकते हैं। यूँ तो पाकिस्तान में बेशुमार शायर हैं और उनमें से कुछेक को ही इस किताब के लिए चुनना एक चुनौती थी। तो चुनाव का पैमाना यह रखा गया कि शायर ऐसे हों जिनकी ग़ज़लों को हिन्दी के पाठक समझ सकें और उनसे हिन्दुस्तान के लोग कुछ हद तक वाकिफ़ हों। इस पैमाने पर सात शायर ही खरे उतरे और उन सात शायरों की चुनिंदा ग़ज़लें इस किताब में पेश हैं। शायरों और उनकी ग़ज़लों को चुनने का मुश्किल काम और उनका सम्पादन तुफ़ैल चतुर्वेदी ने बेहतरीन ढंग से किया है। उन्होंने बरसों तक अपनी लफ़्ज पत्रिका के माध्यम से पाठकों को उर्दू की बेहतरीन शायरी से परिचित कराया।"
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rachna Bhola 'Yamini (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9386534444
- ISBN-13 :9789386534446
DESCRIPTION:
‘‘ठिठुरते जाड़े में, तेरे प्रेम की गरमाहट से, सूफ़ी क़लंदर के तन पर लिपटी, मोटी सूती चादर से, हमारी फ़क़ीरी के आलम में, इश्क़ की नवाबी शान से, संजीदा उमरों के बीच, दिल की शोख़ नादानियों से तेरे कांधे पर रखे सर से, मिलने वाली राहत से, तेरे हौसले, भरोसे और अपनेपन के आफ़ताब से लिखे हैं लव नोट्स! जो तुमसे कभी कहे तो नहीं गए, पर यकीं है कि तुमने सुन ही लिए होंगे। ये सतरें... मेरा इश्क़, मेरी इबादत, मेरी आश्ना, मेरा जुनूँ, मेरी कलम, मेरा कलमा ये हैं मन के मंजीरे!’’ इश्क़ की हर बात कह देने के बाद भी बात अधूरी जान पड़ती है और लगता है कि बस वही तो कहना था, जो अब भी कहना बाक़ी है। कह देने और न कह पाने की इसी जद्दोजहद का नतीजा हैं, ये मन के मंजीरे... रचना भोला ‘यामिनी’ ने पिछले दो दशकों में अनगिनत पुस्तकों के अनुवाद किये हैं। मौलिक लेखन में उनकी कृतियाँ, याज्ञसेनी और प्रयास उल्लेखनीय हैं। मन के मंजीरे में रचना भोला ‘यामिनी’ ने आत्मिक प्रेम की अनुभूतियों को बड़ी सहजता और बेहद खूबसूरती से कागज़ पर उतारा है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bashir Badra
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10:9350640759
- ISBN-13 :9789350640753
DESCRIPTION:
बशीर बद्र मुहब्बत के शायर हैं और उनकी शायरी का एक-एक लफ़्ज़ इसका गवाह है। मुहब्बत का हर रंग उनकी ग़ज़लों में मौजूद है। उनका पैग़ाम मुहब्बत है-जहाँ तक पहुँचे। यह संकलन उनकी समूची शायरी का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी लाजवाब भूमिका हिन्दी के प्रसिद्ध कवि-सम्पादक कन्हैयालाल नंदन ने लिखी है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Rajendra Awasthi
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 160 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 81702847
- ISBN-13 :9788170289784
DESCRIPTION:
तरक्कीपसंद शायर कैफ़ी आज़मी की समग्र शायरी में से चुनी हुई उनकी श्रेष्ठ ग़ज़लें, नज़्में और शे’र साथ ही, उनकी सुप्रसिद्ध बेटी शबाना आज़मी द्वारा लिखा जीवन-परिचय जिसका शीर्षक है-‘अब्बा’। खुशवन्त सिंह ने कैफ़ी आज़मी को ‘आज की उर्दू शायरी का बादशाह’ करार दिया है-और सचमुच वे हैं भी। कैफ़ी आज़मी के समूचे कलाम में से चुनी हुई रचनाओं का विशेष संकलन-फिल्मी गीतों सहित।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Iqbal Ashhar
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2019
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9389373069
- ISBN-13 :9789389373066
DESCRIPTION:
‘‘इक़बाल अशहर की ग़ज़ल की सज-धज और छापतिलक उनकी अपनी फ़िक्री काविशों का समरा है जो उनके और तहज़ीबी ग़ज़ल के रिश्ते का ऐलान करती है। उन्हें सुनना मासूम तितलियों और जुगनुओं के ख्वाबों को छूकर देखने की तरह है। वो हमारे दुनियावी सतह पर होने वाले मुशायरों के भी मक़बूलतरीन शायर हैं लेकिन उनकी शनाख़्त मुशायरा नहीं बल्कि मुशायरों को संजीदा कामयाबी से हमकिनार करती है। उनकी यह किताब उर्दू है मेरा नाम का पूरी दुनिया में इस्तक़बाल होगा, इंशाअल्लाह इसमें शक की गुंजाइश नहीं।’’ - राहत इंदौरी 1965 में दिल्ली में पैदा हुए इक़बाल अशहर की शायरी का आगाज़ 1983 में हुआ। उनकी गिनती आज के दौर के नुमाइंदा शायरों में होती है। उनकी शायरी अतीत के बेतरतीब अंधेरे-उजालों की तरतीब, नर्इ रुतों की आशा-निराशा की दिलचस्प दास्तां और आने वाले दौर की आहटों की गूँज है। उनकी अनेक ग़ज़लें मुशायरों और कवि-सम्मेलनों की कामयाबी की जमानत समझी जाती हैं। उर्दू है मेरा नाम देवनागरी में उनका पहला ग़ज़ल-संग्रह है।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Agyeya (Author)
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2016
- Pages: 184 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282489
- ISBN-13 : 9788170282488
DESCRIPTION:
इस पुस्तक में अज्ञेय जी की चुनी हुई कविताओं को एकत्रित किया गया है। इस काव्य संग्रह को पढ़ने के बाद पाठक को तृप्ति मिलेगी साथ ही अज्ञेय जी के सम्पूर्ण काव्य संग्रह को जानने की उत्कंठता भी बढ़ेगी।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Harivansh Rai Bachchan
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2018
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287979
- ISBN-13 : 9788170287971
DESCRIPTION:
‘सतरंगिनी’ में एक गीत है और उनचास कविताएं। इन्हें बच्चनजी ने सात रंगों के शीर्षकों में विभाजित किया है। प्रत्येक रंग की कविताएं अपनी विशिष्टता लिये हुए हैं और इनमें से कई कविताएं आज लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच चुकी हैं। बच्चनजी ने ‘सतरंगिनी’ की भूमिका में अपने पाठकों से अनुरोध किया है कि वे उनकी मनोभूमि को अच्छी तरह समझने और इन कविताओं को पूरा आनंद लेने के लिए ‘सतरंगिनी’ से पहले प्रकाशित उनकी रचनाओं, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अन्तर’, ‘मधुबाला’, ‘मधुशाला’ और ‘मधुकलश’ को भी अवश्य पढ़ें।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Harivansh Rai Bachchan
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition : 2012
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287812
- ISBN-13 : 9788170287810
DESCRIPTION:
‘सतरंगिनी’ में एक गीत है और उनचास कविताएं। इन्हें बच्चनजी ने सात रंगों के शीर्षकों में विभाजित किया है। प्रत्येक रंग की कविताएं अपनी विशिष्टता लिये हुए हैं और इनमें से कई कविताएं आज लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच चुकी हैं। बच्चनजी ने ‘सतरंगिनी’ की भूमिका में अपने पाठकों से अनुरोध किया है कि वे उनकी मनोभूमि को अच्छी तरह समझने और इन कविताओं का पूरा आनंद लेने के लिए ‘सतरंगिनी’ से पहले प्रकाशित उनकी रचनाओं, ‘निशा निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘आकुल अन्तर’, ‘मधुबाला’, ‘मधुशाला’ और ‘मधुकलश’ को भी अवश्य पढ़ें।
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Harivansh Rai Bachchan
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition : 2012
- Pages: 128 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170282918
- ISBN-13 : 9788170282914
DESCRIPTION:
‘निशा−निमंत्रण’ बच्चन जी का बहुत ही लोकप्रिय काव्य है। इसका पहला संस्करण 1938 में निकला था। “निशा−निमंत्रण को 100 गीतों का संग्रह न समझें। वास्तव में यह सौ पदों में एक ही कविता है जो संध्या से आरम्भ हो, रात के अन्धकार में विकसित होती हुई प्रात: के वातावरण में समाप्त होती है।’’
Main menu