SPECIFICATION:
- Publisher :Rajpal and Sons
- By: Amartya Sen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 196 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10::8170286743
- ISBN-13: 9788170286745
DESCRIPTION:
नोबेल-पुरस्कार-विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन संस्कृति और समाज-विज्ञान के भी मौलिक चिन्तक हैं। अपनी पूर्व प्रकाशित पुस्तक ‘भारतीय अर्थतंत्र, इतिहास और संस्कृति’ में उन्होंने संस्कृति और मानव धर्म से जुड़े प्रश्नों पर विस्तारपूर्वक विचार किया था। अब अपनी इस नई पुस्तक में वे एक सर्वथा नए विषय और मौलिक चिन्तन दृष्टि के साथ हमारे सम्मुख हैं। अस्तित्व अथवा पहचान का प्रश्न और जंगल की आग की तरह फैल रही हिंसा की गहरी अर्थपूर्ण परख और समीक्षा इस पुस्तक का विषय है। विद्वान लेखक के गहरे अनुशीलन और चिंतन का परिणाम है यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण सामयिक पुस्तक।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher :Rajpal and Sons
- By: Amartya Sen (Author)
- Binding :Hardcover
- Language: Hindi
- Edition :2018
- Pages: 196 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10::8170286743
- ISBN-13: 9788170286745
DESCRIPTION:
नोबेल-पुरस्कार-विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन संस्कृति और समाज-विज्ञान के भी मौलिक चिन्तक हैं। अपनी पूर्व प्रकाशित पुस्तक ‘भारतीय अर्थतंत्र, इतिहास और संस्कृति’ में उन्होंने संस्कृति और मानव धर्म से जुड़े प्रश्नों पर विस्तारपूर्वक विचार किया था। अब अपनी इस नई पुस्तक में वे एक सर्वथा नए विषय और मौलिक चिन्तन दृष्टि के साथ हमारे सम्मुख हैं। अस्तित्व अथवा पहचान का प्रश्न और जंगल की आग की तरह फैल रही हिंसा की गहरी अर्थपूर्ण परख और समीक्षा इस पुस्तक का विषय है। विद्वान लेखक के गहरे अनुशीलन और चिंतन का परिणाम है यह अत्यंत महत्त्वपूर्ण सामयिक पुस्तक।
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