SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bimal Mitra (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 736 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170284929
- ISBN-13: 9788170284925
DESCRIPTION:
बिमल मित्र सुप्रसिद्ध सफल उपन्यासकार हैं और 'मुजरिम हाजिर' में उनकी औपन्यासिक कला ने यह चरम उत्कर्ष पाया है कि यह उपन्यास सहज़ ही एक महान महाकाव्य की श्रेणी में आ जाता है। बांग्ला के सर्वाधिकार लोकप्रिय उपन्यासकार बिमल मित्र का यह उपन्यास 'आसामी हाजिर' नाम से बंगला में दो वर्ष तक धारावाहिक प्रकाशित होता रहा है। इसके बाद इसका रंगमंच रूपांतर भी कई वर्षों तक लगातार प्रदर्शित होता रहा है। बिमल मित्र ने इसमें चरित्रनायक सदानंद के माध्यम से हमें सामाजिक जीवन के रंध्र-रंध्र मैं फैली दुर्नीति, दुराचार, ग्लानि और अन्याय को आंखों में अंगुली गडाकर दिखाया है। लेकिन उनकी दृष्टि केवल अंधकार की ओर नहीं रही है, उनके 'सक्रिय भलेमानुस' सदानंद ने 'दिव्य प्रेम की पावन जोत' भी हाथ में ले रखी है और इस तरह उपन्यासकार ने प्रखर प्रकाश की ओर भी देखा है। सदानंद की चरित्रगाथा में उन्होंने स्तर-स्तर मे विन्यस्त सामाजिक संकट को अद्भुत कौशल से उभारा है, विश्व स्तर के किसी भी उपन्यासकार के लिए चुनौती है। 'मुजरिम हाजिर' में जिस विशाल जगत की सृष्टि उन्होंने की है, उसकी प्रत्येक घटना, प्रत्येक चरित्र ऐसा विशाल योग्य और हृदयग्राही है कि पाठक इस जगत में अनजाने शामिल हो जाता है- यह जगत उसका ही जगत बन जाता है। प्रस्तुत उपन्यास पर आधारित धारावाहिक टीवी पर भी प्रकाशित हो चुका है।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Bimal Mitra (Author)
- Binding :Hardcover
- Language : Hindi
- Edition :2018
- Pages: 736 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170284929
- ISBN-13: 9788170284925
DESCRIPTION:
बिमल मित्र सुप्रसिद्ध सफल उपन्यासकार हैं और 'मुजरिम हाजिर' में उनकी औपन्यासिक कला ने यह चरम उत्कर्ष पाया है कि यह उपन्यास सहज़ ही एक महान महाकाव्य की श्रेणी में आ जाता है। बांग्ला के सर्वाधिकार लोकप्रिय उपन्यासकार बिमल मित्र का यह उपन्यास 'आसामी हाजिर' नाम से बंगला में दो वर्ष तक धारावाहिक प्रकाशित होता रहा है। इसके बाद इसका रंगमंच रूपांतर भी कई वर्षों तक लगातार प्रदर्शित होता रहा है। बिमल मित्र ने इसमें चरित्रनायक सदानंद के माध्यम से हमें सामाजिक जीवन के रंध्र-रंध्र मैं फैली दुर्नीति, दुराचार, ग्लानि और अन्याय को आंखों में अंगुली गडाकर दिखाया है। लेकिन उनकी दृष्टि केवल अंधकार की ओर नहीं रही है, उनके 'सक्रिय भलेमानुस' सदानंद ने 'दिव्य प्रेम की पावन जोत' भी हाथ में ले रखी है और इस तरह उपन्यासकार ने प्रखर प्रकाश की ओर भी देखा है। सदानंद की चरित्रगाथा में उन्होंने स्तर-स्तर मे विन्यस्त सामाजिक संकट को अद्भुत कौशल से उभारा है, विश्व स्तर के किसी भी उपन्यासकार के लिए चुनौती है। 'मुजरिम हाजिर' में जिस विशाल जगत की सृष्टि उन्होंने की है, उसकी प्रत्येक घटना, प्रत्येक चरित्र ऐसा विशाल योग्य और हृदयग्राही है कि पाठक इस जगत में अनजाने शामिल हो जाता है- यह जगत उसका ही जगत बन जाता है। प्रस्तुत उपन्यास पर आधारित धारावाहिक टीवी पर भी प्रकाशित हो चुका है।
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