SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: A.P.J. Abdul Kalam
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2018
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642816
- ISBN-13 :9789350642818
DESCRIPTION:
‘‘अगर सारी कठिनाइयों से हार न मान कर मैं इतना कुछ हासिल कर सका हूँ तो कोई भी ऐसा कर सकता है-यही संदेश है जो मैं इस पुस्तक के ज़रिये अपने देश के युवाओं को देना चाहता हूँ। इस पुस्तक से प्रेरित होकर यदि एक भी युवा अपना सपना हासिल कर लेता है तो मैं मानूँगा कि इसे लिखने का मेरा प्रयास सफल हुआ। यह पुस्तक देश-भर से प्राप्त युवाओं के ई-मेल और उनके प्रश्नों पर आधारित है और मेरे जवाब मेरे जीवन के अनुभव और जो कुछ मैंने सीखा है-उस सबका सार है और ये इस तरह पेश किए गए हैं कि मिलती-जुलती समस्याओं का सामना कर रहे किसी भी पाठक के लिए जवाबों में छुपे संदेश कारगर हो सकें।’’-इस पुस्तक की भूमिका से। 2002 से लेकर 2007 तक डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए वह जितने लोकप्रिय तब थे उतने ही आज भी हैं। प्रेरणा, सलाह, मार्गदर्शन या फिर एक जुड़ाव के अहसास के लिए लोग उनसे सम्पर्क करते हैं। उनकी सोच, उनके जीवन-मूल्य और समस्याओं के समाधान उनके अपने जीवन की कठिन राह पर चलते हुए सच्चाई की कसौटी पर खरे उतरे वे सबक हैं जिनसे हम सब बहुत कुछ सीख सकते हैं। व्यक्तिगत विकास की चुनौती-जिसका हम सब अपनी ज़िन्दगी में हर रोज़ सामना करते है-से शुरुआत करते हुए समाज और राष्ट्र के बहुआयामी, जटिल सवालों से जूझने तक यह पुस्तक सम्पूर्ण और सार्थक ज़िन्दगी जीने की प्रेरणा देती है।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: A.P.J. Abdul Kalam
- Binding : Paperback
- Language : Hindi
- Edition : 2018
- Pages: 224 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642816
- ISBN-13 :9789350642818
DESCRIPTION:
‘‘अगर सारी कठिनाइयों से हार न मान कर मैं इतना कुछ हासिल कर सका हूँ तो कोई भी ऐसा कर सकता है-यही संदेश है जो मैं इस पुस्तक के ज़रिये अपने देश के युवाओं को देना चाहता हूँ। इस पुस्तक से प्रेरित होकर यदि एक भी युवा अपना सपना हासिल कर लेता है तो मैं मानूँगा कि इसे लिखने का मेरा प्रयास सफल हुआ। यह पुस्तक देश-भर से प्राप्त युवाओं के ई-मेल और उनके प्रश्नों पर आधारित है और मेरे जवाब मेरे जीवन के अनुभव और जो कुछ मैंने सीखा है-उस सबका सार है और ये इस तरह पेश किए गए हैं कि मिलती-जुलती समस्याओं का सामना कर रहे किसी भी पाठक के लिए जवाबों में छुपे संदेश कारगर हो सकें।’’-इस पुस्तक की भूमिका से। 2002 से लेकर 2007 तक डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम भारत के राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए वह जितने लोकप्रिय तब थे उतने ही आज भी हैं। प्रेरणा, सलाह, मार्गदर्शन या फिर एक जुड़ाव के अहसास के लिए लोग उनसे सम्पर्क करते हैं। उनकी सोच, उनके जीवन-मूल्य और समस्याओं के समाधान उनके अपने जीवन की कठिन राह पर चलते हुए सच्चाई की कसौटी पर खरे उतरे वे सबक हैं जिनसे हम सब बहुत कुछ सीख सकते हैं। व्यक्तिगत विकास की चुनौती-जिसका हम सब अपनी ज़िन्दगी में हर रोज़ सामना करते है-से शुरुआत करते हुए समाज और राष्ट्र के बहुआयामी, जटिल सवालों से जूझने तक यह पुस्तक सम्पूर्ण और सार्थक ज़िन्दगी जीने की प्रेरणा देती है।
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