SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 80 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642204
- ISBN-13 :9789350642207
DESCRIPTION:
वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षामः, सोमनाथ, धर्मपुत्र और सोना और खून जैसे हिन्दी के क्लासिक उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन की यह पुस्तक वैवाहिक जीवन में यौन-संबंधों के विषय पर केंद्रित है। विवाह के बाद दंपति दो अलग-अलग रिश्तों में बंध जाते हैं; एक रिश्ता पति-पत्नी का जो पारिवारिक और सामाजिक संबंधों पर आधारित है, और दूसरा रिश्ता स्त्री-पुरुष का जिसका आधार है यौन संबंध। वैवाहिक जीवन में कभी-कभी यौन संबंधी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं जिनको यदि समय से न सुलझाया जाए तो वे एक नासूर बन जाती हैं जिससे शादी के मधुर मिलन में निराशा और दूरी आ जाती है। यदि आप अपने वैवाहिक जीवन में यौन सुख का भरपूर आनंद चाहते हैं या फिर किसी यौन-संबंधी समस्या से परेशान हैं तो यह पुस्तक आपके लिए मार्गदर्शक हो सकती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री साहित्यिक लेखक होने के साथ एक आयुर्वेद चिकित्सक भी थे। जैसे-जैसे उनकी पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ती गई, उन्होंने अपना पूरा समय लेखन में देना शुरू किया, पर आयुर्वेद में उनकी रुचि बराबर बनी रही। यह पुस्तक उनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा के दौरान मरीज़ों की चिकित्सा के अनुभवों पर आधारित है।
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Acharya Chatursen (Author)
- Binding :Paperback
- Language : Hindi
- Edition :2015
- Pages: 80 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 9350642204
- ISBN-13 :9789350642207
DESCRIPTION:
वैशाली की नगरवधू, वयं रक्षामः, सोमनाथ, धर्मपुत्र और सोना और खून जैसे हिन्दी के क्लासिक उपन्यासों के लेखक आचार्य चतुरसेन की यह पुस्तक वैवाहिक जीवन में यौन-संबंधों के विषय पर केंद्रित है। विवाह के बाद दंपति दो अलग-अलग रिश्तों में बंध जाते हैं; एक रिश्ता पति-पत्नी का जो पारिवारिक और सामाजिक संबंधों पर आधारित है, और दूसरा रिश्ता स्त्री-पुरुष का जिसका आधार है यौन संबंध। वैवाहिक जीवन में कभी-कभी यौन संबंधी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं जिनको यदि समय से न सुलझाया जाए तो वे एक नासूर बन जाती हैं जिससे शादी के मधुर मिलन में निराशा और दूरी आ जाती है। यदि आप अपने वैवाहिक जीवन में यौन सुख का भरपूर आनंद चाहते हैं या फिर किसी यौन-संबंधी समस्या से परेशान हैं तो यह पुस्तक आपके लिए मार्गदर्शक हो सकती है। आचार्य चतुरसेन शास्त्री साहित्यिक लेखक होने के साथ एक आयुर्वेद चिकित्सक भी थे। जैसे-जैसे उनकी पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ती गई, उन्होंने अपना पूरा समय लेखन में देना शुरू किया, पर आयुर्वेद में उनकी रुचि बराबर बनी रही। यह पुस्तक उनकी आयुर्वेदिक चिकित्सा के दौरान मरीज़ों की चिकित्सा के अनुभवों पर आधारित है।
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