Har Haal Begane

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SPECIFICATION:
  • Publisher : Rajpal and Sons
  • By:  Mridula Garg (Author)
  • Binding : Paperback
  • Language : Hindi
  • Edition :2014
  • Pages: 152 pages
  • Size : 20 x 14 x 4 cm
  • ISBN-10: 9350642492
  • ISBN-13 :9789350642498

DESCRIPTION: 

प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, यात्रा-वृत्तांत सभी विधाओं में लिखती हैं। उनकी लेखन शैली लीक से हटकर है जो पाठक को शुरू से अंत तक बाँधकर रखती है। लोकप्रियता के साथ उन्हें आलोचनात्मक सराहना भी प्राप्त है। उनकी रचनाएँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। उन्हें व्यास सम्मान, साहित्यकार सम्मान, साहित्य भूषण और 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया है। अपनी अनगिनत विदेश-यात्राओं में लेखिका को वहां बसे भारतीयों से मिलने-जुलने, उनको जानने और समझने का मौका मिला। उन्हीं को आधार बनाकर मृदुला गर्ग ने ये कहानियाँ लिखी हैं। चालीस वर्षों की लंबी अवधि में अलग-अलग समय पर प्रवासी भारतीयों पर लिखी उनकी ये कहानियाँ पाठक के मन पर अपनी अमिट छाप छोड़ती हैं।

                          Description

                          SPECIFICATION:
                          • Publisher : Rajpal and Sons
                          • By:  Mridula Garg (Author)
                          • Binding : Paperback
                          • Language : Hindi
                          • Edition :2014
                          • Pages: 152 pages
                          • Size : 20 x 14 x 4 cm
                          • ISBN-10: 9350642492
                          • ISBN-13 :9789350642498

                          DESCRIPTION: 

                          प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, यात्रा-वृत्तांत सभी विधाओं में लिखती हैं। उनकी लेखन शैली लीक से हटकर है जो पाठक को शुरू से अंत तक बाँधकर रखती है। लोकप्रियता के साथ उन्हें आलोचनात्मक सराहना भी प्राप्त है। उनकी रचनाएँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हैं। उन्हें व्यास सम्मान, साहित्यकार सम्मान, साहित्य भूषण और 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाज़ा गया है। अपनी अनगिनत विदेश-यात्राओं में लेखिका को वहां बसे भारतीयों से मिलने-जुलने, उनको जानने और समझने का मौका मिला। उन्हीं को आधार बनाकर मृदुला गर्ग ने ये कहानियाँ लिखी हैं। चालीस वर्षों की लंबी अवधि में अलग-अलग समय पर प्रवासी भारतीयों पर लिखी उनकी ये कहानियाँ पाठक के मन पर अपनी अमिट छाप छोड़ती हैं।

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