SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Harivansh Rai Bachchan
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition : 2009
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287863
- ISBN-13 : 9788170287865
DESCRIPTION:
‘‘ ‘मिलन यामिनी’ में 99 कविताएँ हैं। इन्हें मैंने 33-33 के तीन भागों में विभक्त कर दिया है। पहले और तीसरे भाग में मैंने एक खास तरह के साँचे में ढली कविताएँ रखी हैं। दूसरे भाग में कोई ऐसा प्रतिबंध स्वीकार नहीं किया गया। धर्मशाला के इस मनोरम स्थान में, जहाँ एक ओर तो हिमाच्छादित धवलीधार पर्वतमाला खड़ी है और दूसरी ओर अनेक पहाड़ों, नालों और झरनों से निनादित और अभिसिंचित काँगड़ा की उर्वरा घाटी फैली है जिसकी दक्षिणी सीमा पर व्यास नदी दूर दूध की रेखा के समान दिखाई देती है, मैं अपनी वाणी पर नियंत्रण न रख सका। यही ‘मिलन यामिनी’ पूर्ण हुई है और यहीं मैंने उसके गीतों का क्रम आदि स्थापित किया एवं प्रेस कापी भी तैयार की।’’
Description
SPECIFICATION:
- Publisher : Rajpal and Sons
- By: Harivansh Rai Bachchan
- Binding : Hardcover
- Language : Hindi
- Edition : 2009
- Pages: 144 pages
- Size : 20 x 14 x 4 cm
- ISBN-10: 8170287863
- ISBN-13 : 9788170287865
DESCRIPTION:
‘‘ ‘मिलन यामिनी’ में 99 कविताएँ हैं। इन्हें मैंने 33-33 के तीन भागों में विभक्त कर दिया है। पहले और तीसरे भाग में मैंने एक खास तरह के साँचे में ढली कविताएँ रखी हैं। दूसरे भाग में कोई ऐसा प्रतिबंध स्वीकार नहीं किया गया। धर्मशाला के इस मनोरम स्थान में, जहाँ एक ओर तो हिमाच्छादित धवलीधार पर्वतमाला खड़ी है और दूसरी ओर अनेक पहाड़ों, नालों और झरनों से निनादित और अभिसिंचित काँगड़ा की उर्वरा घाटी फैली है जिसकी दक्षिणी सीमा पर व्यास नदी दूर दूध की रेखा के समान दिखाई देती है, मैं अपनी वाणी पर नियंत्रण न रख सका। यही ‘मिलन यामिनी’ पूर्ण हुई है और यहीं मैंने उसके गीतों का क्रम आदि स्थापित किया एवं प्रेस कापी भी तैयार की।’’
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